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आज के समय में मधुमेह की समस्या बहुत ही आम होती नज़र आ रही है। आज कल यह समस्या महिलाओं में काफी देखने को मिल रही है। इसके लक्षण और कारण पुरुषों से विभिन्न हो सकते हैं। आज के ब्लॉग में हम महिलाओं में मधुमेह के लक्षण और कारण से जुड़ी जानकारी के बारे में जानेंगे!
महिलाओं और पुरुषों में अक्सर मधुमेह के लक्षण एक जैसे ही होते हैं। कुछ लक्षण सिर्फ़ महिलाओं में ही पाए जाते हैं। इन लक्षणों को समझने से आपको मधुमेह की पहचान करने में आसानी हो जाती है, जिससे आप समय रहते हैं इलाज शुरू कर सकते हैं।
यह संक्रमण यीस्ट या मौखिक यीस्ट इन्फेक्शन के कारण होता है। इसमें हाइपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia), या हाई ब्लड शुगर का स्तर, कवक (जो एक फंगस है ) के विकास को गति प्रदान करता है। कैंडिडा फंगस के कारण होने वाले यीस्ट इन्फेक्शन योनि या मौखिक यीस्ट संक्रमण में वृद्धि कर सकता है। ऐसे सामान्य संक्रमणों को थ्रश (thrush) के नाम से भी पुकारा जाता है। जब योनि क्षेत्र में संक्रमण का विकास होने लगता है तो आप इन लक्षणों को महसूस कर सकती है-
योनि की खुजली होना
योनि स्राव होना
दर्दनाक सेक्स का अनुभव
मौखिक यीस्ट संक्रमण में जीभ पर या फिर मुंह के अंदर एक सफेद लेप जैसा बनाता हुआ नज़र आता है।
महिलाओं में यूटीआई होना एक आम समस्या है। मूत्र पथ के संक्रमण में बैक्टीरिया मूत्र पथ के जरिए ही प्रवेश करते हैं। जिन महिलाओं को डायबिटीज की समस्या है उनको इस संक्रमण का जोखिम सबसे अधिक बना रहता है। यूटीआई (UTI) के कारण होने वाले आम लक्षणों में शामिल है-
मूत्र त्याग करने में दर्द महसूस होना
पेशाब के दौरान जलन होना
खूनी या बादलदार मूत्र आना
अगर इन लक्षणों का सही समय पर इलाज नहीं हुआ तो यह किडनी के संक्रमण के खतरे को बढ़ा देंगे।
डायबिटिक न्यूरोपैथी में हाई ब्लड शुगर का स्तर आपके तंत्रिका तंतुओं (nerve fibers) को नुकसान पहुंचाता है। इससे होने वाली क्षति शरीर के भिन्न हिस्सों में झुनझुनी को ट्रिगर करती है। डायबिटिक न्यूरोपैथी में योनि क्षेत्र में आप सनसनी महसूस कर सकती हैं क्योंकि डायबिटिक न्यूरोपैथी योनि को प्रभावित कर सकती है। इस वजह से आप योनि में सूखापन लक्षण के तौर पर देख सकते हैं।
वैसे तो कोई विशेषज्ञ पीसीओएस का सही कारण नहीं जानते हैं लेकिन यह तब होता है जब किसी महिला में अधिक मात्रा में एण्ड्रोजन यानि पुरुष हार्मोन पैदा होने लग जाते हैं। इसके होने का जोखिम कारक पारिवारिक इतिहास हो सकता है। पीसीओएस के लक्षण हैं-
अनियमित पीरियड्स होना
बढ़ता वजन
मुंहासा होना
डिप्रेशन का आभास होना
बांझपन की शिकायत
शायद आपको पता न हो कि पीसीओएस (PCOS) भी एक तरह से इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ा हुआ है। यह ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ाता है और डायबिटीज के विकास के खतरे को भी शरीर में बढ़ाता है।
जब शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है तब आंखों में छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है। इस वजह से धुंधली दृष्टि की समस्या हो शुरू हो सकती है। इस समस्या को आप एक या दोनों ही आँखों में महसूस कर सकते हैं। हाई ब्लड शुगर लेवल आंखों के लेंस की सूजन का एक कारण हो सकता हैं। अगर डायबिटीज के मरीज का सही समय पर उपचार नहीं हुआ तो रक्त वाहिकाओं को ज्यादा नुकसान हो पहुँच सकता है, जिस कारण व्यक्ति की स्थायी दृष्टि हानि होने का खतरा बन सकता है।
हाई ब्लड शुगर लेवल शरीर की नसों और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। जिससे रक्त परिसंचरण खराब हो सकता है। इस वजह से छोटे कट या घावों को ठीक होने में कई हफ्ते या महीने लग जाते हैं। कई बार धीरे-धीरे घाव भरने से शरीर में किसी संक्रमण होने का खतरा बना रहता है या फिर शरीर में मौजूद संक्रमण बढ़ सकता है।
हाई ब्लड शुगर लेवल रक्त परिसंचरण को प्रभावित करता है साथ ही नसों को नुकसान पहुंचा सकता है। टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में, इस कारण हाथ और पैरों में दर्द महसूस हो सकता है। कई बार झुनझुनी या सुन्नता की भी अनुभूति का एहसास हो सकता है। इस स्थिति को न्यूरोपैथी कहते हैं। यह वक़्त के साथ गंभीर हो जाती है और बिगड़ सकती है साथ ही यह जटिलताएं पैदा कर सकती है।
आपकी कमर, गर्दन या बगल पर सिलवटों पर बनने वाली गहरे रंग की त्वचा के धब्बों का कारण डायबिटीज हो सकता है। त्वचा की इस अवस्था को को एसेंथोसिस नाइग्रिकन्स (acanthosis nigricans) के नाम से संबोधित किया जाता है।
हाई ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए अगर आपको बार-बार पेशाब करने जाना पड़ रहा है तो यह आपके शरीर में पानी की कमी की समस्या को पैदा कर सकती है। यह एक समय के बाद शरीर में डिहाइड्रेशन का कारण बन सकता है और इस वजह से व्यक्ति को सामान्य से ज्यादा प्यास लग सकती हैं।
अगर आप इन लक्षणों को महसूस कर रही है तो आप आज ही mediyaar से डायबिटीज टेस्ट बुक करें।
महिलाओं में शुगर होने के विभिन्न कारण हो सकते हैं, आइए जानते हैं वह क्या कारण है जिसकी वजह से एक महिला को शुगर जैसी बीमारी से जूझना पड़ सकता है-
शुगर अगर परिवार में किसी भी व्यक्ति को है तो इसकी संभावना बढ़ जाती है कि यह आपको भी अपनी चपेट में ले सकती है। शुरुआत से थोड़ा अपनी सेहत का ध्यान रखें।
इस बात से तो सभी वाकिफ है कि मोटापा बहुत सी बीमारियों की वजह है। बढ़ता वजन या शरीर में बढ़ता वसा इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ा देता है। जिस कारण महिलाओं में शुगर होने का खतरा बढ़ जाता है।
अगर आप नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते या किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि का हिस्सा नहीं बनते हैं तो आपको शुगर होने का खतरा बढ़ जाता है।
किसी भी महिला में हार्मोनल बदलाव के कारण बहुत सी समस्या पैदा होती है। यदि महिला गर्भावस्था में हो, रजोनिवृत्ति के आस-पास हो तब भी शुगर होने का खतरा रहता है। पीसीओएस के दौरान भी होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण भी महिलाओं में शुगर होने का खतरा बढ़ जाता है।
कुछ दवाएं जैसे कि स्टेरॉयड और कुछ मनोरोग दवाइयाँ है जो ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकती हैं। जिससे शुगर होने का खतरा बना रहता है।
केवल महिला ही नहीं परूषों में भी, अगर किसी को हाई ब्लड प्रेशर या फिर हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या है तो उस व्यक्ति को शुगर होने के जोखिम और भी
बढ़ा जाते हैं।
लगातार तनाव और डिप्रेशन से जूझ रहें लोगों में शुगर होने का खतरा बढ़ जाता है।
अपनी कुछ आदतों के कारण आप शुगर जैसी समस्या को निमंत्रण दें सकते हैं जैसे कि धूम्रपान, शराब और असंतुलित आहार आदि। यह सब आदतें शुगर के जोखिम को बढ़ा देती हैं।
पीसीओएस महिलाओं में एक आम स्थिति जो इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनती है, जिसके कारण महिलाओं में शुगर का जोखिम बढ़ा जाता है।
महिलाओं में शुगर को रोकने और प्रबंधन के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें-
संतुलित आहार और नियमित व्यायाम की मदद से शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कंट्रोल किया जा सकता है। यह अतिरिक्त चर्बी के होने के कारण शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ा सकती है जिस वजह से डायबिटीज हो सकता है।
अगर आप नियमित शारीरिक गतिविधि का हिस्सा बने रहते हैं तो शरीर में इंसुलिन संवेदनशीलता सुधरती है। साथ ही ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद मिलती है। आप रोज़ 30 मिनट से 1 घंटा अगर शारीरिक गतिविधि करते हैं तो आप स्वस्थ जीवन के एक कदम करीब पहुँच जाते हैं।
एक स्वस्थ आहार से आप कई समस्याओं को दूर रख सकते हैं। आप अतिरिक्त शुगर, रिफाइन्ड कार्बोहाइड्रेट या सेचुरेटेड फैट जिनमें कम हों, ऐसे ही भोजन करें। ऐसा करने से आप डायबिटीज को रोक पाएंगे। आप सब्जियां, लीन प्रोटीन, फल, साबुत अनाज और स्वस्थ वसा जैसे संपूर्ण खाद्य पदार्थों के सेवन पर ध्यान दें।
नींद की कमी के कारण शरीर में ग्लूकोज चयापचय और इंसुलिन संवेदनशीलता बाधित हो सकती है जिससे डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। नींद बहुत जरूरी है इसलिए हर व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए कम से कम हर रात 7-8 घंटे की नींद का लक्ष्य रखना चाहिए।
महिलाओं का स्वस्थ रहना एक पूरे परिवार के लिए बहुत ही जरूरी है। इसलिए अपनी सेहत और स्वास्थ्य और उससे जुड़ी सभी चीजों का ध्यान रखें। संतुलित आहार लें, अच्छी नींद लें और खुद के लिए समय निकलें जिससे आप तनाव मुक्त रहें।